expr:class='"loading" + data:blog.mobileClass'>

रविवार, 17 जुलाई 2011

अब बुन्देली भाषा के लानेऊ लिख लेओ

    हमाये देश में हिन्दी को हाल तौ बैसेईं बिगड़ो धरो हतौ ऊपर से जै मोबाइलन और जा फेसबुकन के कारन से औरईं बुरौ हाल होत जा रऔ है। कोउ अब इतै हिन्दी में तो लिखबई नईं चाउत है। जिनै देखौ वे अंगरेजी में हिन्दी लिखकै अपने को हिन्दी को तीसमारखँ बताउन लगत हैं।
 
    हिन्दी की दसा तो बिगड़ई रई है बापै जा बुन्देली की तो दुर्दसई करकै धर दई है। इतै कछु दिनन से हम देख रए हैं कि जा टीवी में एक कौनउ कारकिरम आत है उतरन बामै एक बुन्देलन के नाम पै बुन्देली भाषा को हालई बिगाड़ै धरै हैं। ऐसैई टीवी जैसो हाल अपने आसपासई दिखत है। जिने देखो वो आजकल लेखक बनौ घूम रऔ है पर अपनी भाषा के लाने कछु नई कर रऔ है।
 
    हमाऔ जनम भारत में भऔ तो साथ में जा बुन्देलखण्डउ में हमाये प्रान बसत हैं। ऐसेई में हमाओ कछु तो फर्ज बनतई है कि हम इतै की भाषा के लानै, इतै के लानै कछु करें। हम सबनै बहुतईं बिचार करौ और सोचै कि आजकल जो इंटरनेट बहुतई अच्छो सिस्टम हौ गऔ है अपनी बात को सबकै सामनू लाबिन कै लानै। जोई बिचार करकै एक तौ ब्लाग बना दऔ है बुन्देली थाती के नाम से और जई ससुर फेसबकई पे एक ग्रुपउ सोई बना दऔ है।
 
    जामै हमाये संगे सबइसे पहलै दीपक मशाल जुड़े हतै, बेऊ बहुतई उतावलै हतै बुन्देलखण्ड के लानै और बुन्देली कै लानै कछु करबै कै लानै। अब औरउ जनै जासै जुड़हैं पर जुड़बै बालन से एक बिनती करहैं कि जामैं जिनै जुड़नै हौए जुड़ जाबैं बस लिखैं सिरफ और सिरफ बुन्देली भाषा में। चाहै बे बुन्देलखण्ड के बारै में लिखैं चाहै कवितई-किस्सा लिखैं, चाहैं कछु और बस बुन्देलियई में लिखैं। जासै जा धरती से खतम सी हो रई अपनी बुन्देली भाषा बचाबै कै लानै कछु अपनोउ योगदान हम सबई कर लैं।
 
    हमाऔ तो आज से जोई परयास हौहै कि जो कछु लिखौ जाए बो बुन्देलियई में लिखौ जायै। आप बुन्देलखण्ड के सबईं लोग जा ग्रुप से जुड़ौ और बुन्देली में लिख-लिखा कै अपनी भाषा को सबकै सामनू ले आऔ।

आप लोगन को अभै हमनै जासै ग्रुपमैं सामिल नईं करौ है कि आप अपनईं आप जासै जुड़ौ। कायकै हमैं जो न लगे कि हमने सबको जबरईं जोड़ लऔ है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें